Kailasa-Manasarovara yatra (Hindi)
Kailasa-Manasarovara yatra (Hindi)
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केदारनाथ सिंह की भूमिका: इधर हिंदी लेखकों का ध्यान अचानक मानसरोवर की ओर गया है। पहले भी जाता था पर अब के लेखक कुछ अलग ढंग से देखते हैं सौंदर्य के उस अपूर्व पारदर्शी प्रवाह को जिसे मानसरोवर कहा जाता है। 'मानस' शब्द भारत की मूल चेतना से जुड़ा है इसलिए हिंदी के सबसे बड़े सर्जक तुलसीदास की महत्तम काव्य कृति रामचरितमानस में वह मौजूद है। इसीलिए एक कवि जब इस यात्रा पर जाता है तो वह दोहरी यात्रा करता है - भीतर से बाहर और ठीक उसी समय बाहर से भीतर भी। 'कैलाश-मानसरोवर' के शब्दकार कवि वीरेंद्र कुमार ने ऐसी ही यात्रा की है। पुस्तक के भीतर प्रवेश करने से पहले यदि लेखक का 'आमुख' और 'धर्म का आधुनिक संदर्भ' शीर्षक भूमिका पढ़ ली जाए तो इस महत् यात्रा के मर्म को अच्छी तरह समझा जा सकता है।पुस्तक की सुंदरता उसकी सादगी में है। लेखक वीरेंद्र कुमार मुलतः कवि हैं। पर मुझे लगता है इस पुस्तक को लिखते समय कहीं भी उन्होंने अपने कवि को आड़े नहीं आने दिया है। कम-से-कम शब्दों में अधिक से अधिक सूचनाएं - बल्कि सूचनाओं के पीछे का सारा सांस्कृतिक संदर्भ भी व्यक्त हो जाए - यह कठिन कार्य है और लेखक ने अपनी मितकथन वाली शैली से इसको संभव कर दिखाया है - एक कवि की अभिधापरक शैली का यह ठाट सराहनीय है। इस छोटी सी पुस्तक में मैंने विराट मानसरोवर की एक झलक देखी। आप भी देखें - यही निवेदन करूंगा। - केदारनाथ सिंह
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