Bismillah Khan: Banarak Ke Ustad (Hindi)
Bismillah Khan: Banarak Ke Ustad (Hindi)
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“बिस्मिल्लाह ख़ान - बनारस के उस्ताद» वह किताब है जो पाठकों को भारत के सबसे महान कलाकारों में से एक के दिल और घर-परिवार ही नहीं उनके ख़्याल और मौसीकी से भी रू-ब-रू करती है। यह डुमरांव जैसे छोटे क़स्बे से बनारस और फिर दुनिया तक के सफ़र को बयां करती है। यह किताब बिस्मिल्लाह ख़ान के बचपन से लेकर बड़े होने तक, शागिर्द से उस्ताद, शिष्य से दिग्गज बनने तक या शुरुआती दिनों में एक कार्यक्रम का मेहनताना पांच रुपये से हर पेशकश के लिए पांच से दस लाख रुपये के बीच कुछ भी लेने तक उनकी पूरी कहानी बताती है। बिस्मिल्लाह ख़ान की ज़िन्दगी बनारस की सड़कों, गलियों और मुहल्लों, इसके घाटों, मंदिरों, महफ़िल और साज़िन्दों के आसपास घूमती है, जो इसको उनके साथ गुज़रा हुआ एक युग बना देती है। लेखिका ने बखूबी बीसवीं सदी के बनारस में इसके क़िरदार और अंदाज़ को तरोताज़ा कर दिया है। इस किताब के लिए रईस रजवाड़ों, गणिकाओं और कई कलाकारों से बातचीत की गई। बिस्मिल्लाह ख़ान की असाधारण प्रतिभा के लिए बनारसी समाज के रंगीन ताने-बाने को एकदम सही पृष्ठभूमि के रूप में देखा गया। यह किताब बिस्मिल्लाह ख़ान की सनकी मिज़ाज और कमजोरियों को भी उसी ख़ूबसूरती से बताती है- मौसीकी के दिग्गज इस कलाकार का कद उसकी हाज़िरजवाबी, दिल्लगी और करिश्मे को कभी भी छिपा नहीं सकता हैं। “Bismillah Khan – maestro from benaras” is a book that gives the reader an insightful look into the home and heart, muse and music of one of the greatest artists that India has produced. It traces his journey from the small town of dumraon to Banaras and Thence to the world.
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