Skip to product information
1 of 1

Bharat Ke Shastriya Nritya: Navjagran Aur USke Bad (Hindi)

Bharat Ke Shastriya Nritya: Navjagran Aur USke Bad (Hindi)

Regular price £30.74 GBP
Regular price Sale price £30.74 GBP
Sale Sold out
Taxes included.

भारत के शास्त्रीय नृत्यः नवजागरण और उसके बाद नाम की पुस्तक का यह अनुवाद भी मूल पुस्तक की तरह ही, स्वतंत्रता के बाद भारतीय शास्त्रीय नृत्य-रूपों के बनने-सँवरने की कथा से लैस है। भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुडी, कथकली, मणिपुरी, मोहिनीआट्टम, ओडिशी और सत्रिय का इसमें सघन और सम्यक परिचय, ख्यात नृत्य-समीक्षक लीला वेंकटरमन ने प्रस्तुत किया है, जिसमें समकालीन नृत्य-परिदृष्य भी बहुत अच्छी तरह उभरकर सामने आया है। ब्रिटिश राज के अंतिम कुछ वर्षों और उसके बाद, मंदिरों और दरबारों से शास्त्रीय नृत्य-रूपों का एक नया रूपांतरण घटित हुआ, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन की भी एक विशिष्ट भूमिका थी। अन्य सभी क्षेत्रों की तरह नृत्य-रूपों में भी एक ‘स्वतंत्र’ राष्ट्रीय पहचान का आग्रह बढ़ रहा था, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसी नयी पहचान के साथ ही उपस्थित होने की आकांक्षा बलवती हो रही थी। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो पिछले कोई साठ वर्षों में भारतीय शास्त्रीय नृत्य-रूपों की प्रस्तुतियों में एक मूलभूत परिवर्तन हुआ है, कुछ स्वेच्छा से और कुछ आकस्मिक ढंग से। इन वर्षों पर एक नजर डालते ही यह अनुभव होता है कि परिवर्तन की यह प्रक्रिया रूकी नहीं है - पीढ़ी-दर-पीढ़ी उसमें कुछ जुड़ता ही जा रहा है। हमारे नृत्यकार और संगीतकार एक समृद्ध परम्परा का अपने-अपने ढंग से एक पुनराविष्कार करते ही जा रहे हैं। पुस्तक इस प्रक्रिया पर भी पर्याप्त रोशनी डालती है। पुस्तक बहुतेरे आवश्यक चित्रों से सुसज्जित है, और नृत्य के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हुई, प्रायोजन तथा संरक्षण जैसे प्रश्नों पर भी विचार करती हैं। प्रशिक्षण के सवालों, और गुरु-शिष्य परंपरा की स्थिति-परिस्थिति के अलावा नृत्य के समकालीन मूल्य बोध को रेखांकित करती है। सभी शास्त्रीय नृत्य रूपों को उनकी विविधता में समेटती हुई यह कलाकारों, इतिहासकारों, नृत्य के प्रशिक्षुओं गुरूओं समेत उन सभी के लिए अत्यंत उपयोगी है जो भारतीय संस्कृति के इस मनोहारी जगत का अवगाहन करना चाहते हैं

View full details