Bharat Aur Vishv Itihas Ki Aetihasikta: Itihas Ka Pehla Aur Antim Pristh
Bharat Aur Vishv Itihas Ki Aetihasikta: Itihas Ka Pehla Aur Antim Pristh
Couldn't load pickup availability
यरोपीय इतिहासकारों विशेह्य तः ब्रिटिश और सामान्यतः फ्रेंच, जर्मन एवं यूनानियों ने भारतीय ऋत इतिहास, प्रमेयतः विश्व इतिहास को जिस तरह विकृत किया उसके प्रक्षालन का यह पुस्तक एक प्रयास है एक प्रकार से संक्षिप्त में ही सही उस विरूपित इहिास की पुनरसंरचना और पुनर्लेखन ;तम.ूतपजपदह ंदक ेमजजपदह तपहीजद्ध का एक प्रयत्न, सनातन वैदिक, पुराण शास्त्रीय गवेह्य णा के साथ विश्व की विभिन्न संस्कृतियों विशेशतः जेण्ड शास्त्रीय प्रमाणों एवं आधुनिक ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, भूगर्भीय, पुरातत्वीय विवेचन परिनिब ठत यह पुस्तक सच कहें तो इतिहास को ही एक ऐतिहासिक चुनौंती है, किस तरह भारत और विश्व इतिहास के पहले और अंतिम पृब ठ से इतिहास को वञिचत रखा गया यह पाठक पहली बार समझेंगे, साथ ही इस सच से भी सभी अवगत होंगे कि भारतीयों को अपमानित करने और अपने ही ऋत ज्ञान से वंचित रखने की कदाशयता से किस तरह जानबूझकर पाश्चात्य-यूरपियन इतिहासकारों ने इतिहास के पृब ठों को विकृत और प्रदूशित किया। यह पुस्तक बहुधा प्रतिब ठापित इस आध्यात्मिक प्रश्न का-हम कौन हैं, कहाँ से आये- ऐतिहासिक उत्तर है, साथ ही बौद्विक मंथन का आहवान भी, केवल ऋत इतिहास का ज्ञान ही देशवासियों के अन्दर आत्मगौरव, स्वाभिमान, आत्मबल, आत्मसम्मान और उदारचरित उत्पन्न करने में सक्षम है। ऋत इतिहास के ज्ञान के साथ संविधान का सामान्य ज्ञान ही सुराज की कल्पना तथा सर्वहित कल्याणमय, शोब ाण मुक्त, न्याय और समानता आधारित समाजिक व्यवस्था की स्थापना का स्वप्न साकार करने में समर्थ है, युवापीढ़ी को आज इस तरह का ऋत इतिहास दर्शन ज्ञान प्रबोधन अन्ततः शासनतन्त्र रचनान्तरण-व्यवस्था कायाकल्प एवं नव संविधान सृजन के बीज प्रस्फुटित करेगा और सुराज-सुशासन-लोकराज स्थापना सम्भव। ।
Share
